१२ एवं १३ नवम्बर को रुद्रपुर शहर में आयोजित आयुर्वेदिक चिकित्सा शिविर सफलतापूर्वक संपन्न हुआ.
इसमें ११० रोगियों को निःशुल्क चिकित्सा परामर्श दिया गए .
जलौका चिकित्सा द्वारा रोगियों का उपचार किया गया
रोगियों को स्व-मर्म चिकित्सा करने का प्रशिक्षण दिया गया
नाड़ी स्वेदन द्वारा रोगियों का स्वेदन कर उन्हें इसके लाभ बताये गए
रोगियों को "षडंग पानीय" का पान करा कर उनको इसे दैनिक प्रयोग में लाने के लिए प्रेरित किया गया.
शिविर से जुड़े सभी लोगो को हार्दिक धन्यवाद ....
उनके सहयोग के लिए हम सदा आभारी रहेंगे तथा आगे भी उनसे इसकी प्रकार के सहयोग की उम्मीद करते हैं
धन्यवाद
Monday, November 15, 2010
रुद्रपुर में निःशुल्क आयुर्वेदिक चिकित्सा शिविर संपन्न
Tuesday, November 9, 2010
निःशुल्क आयुर्वेदिक चिकित्सा शिविर -१२ एवं १३ नवम्बर
एवं मानसरोवर सेवा संस्थान एवं शोध केंद्र, वृन्दावन धाम
द्वारा १२ व १३ नवम्बर को
अग्रवाल धर्मशाला, रुद्रपुर में
निःशुल्क आयुर्वेदिक चिकित्सा शिविर
Monday, November 8, 2010
Treatments Available
विशुद्ध शास्त्रीय आयुर्वेदिक ओषधियाँ
केरलीय पंचकर्म एवं शास्त्रीय पंचकर्म
मर्म चिकित्सा
अग्निकर्म
रक्त मोक्षण - सिरावेध, प्रच्छान , जलौका द्वारा
नेत्र क्रियाकल्प
पंचगव्य चिकित्सा
योग एवं ध्यान
रसायन चिकित्सा
कदम मिलाएं प्रकृति के साथ- स्वास्थ्य पायें आयुर्वेद के साथ
विश्व के प्राचीनतम स्वास्थ्य विज्ञान - "आयुर्वेद के द्वारा पायें रोग रहित शारीरिक, मानसिक एवं आत्मिक स्वास्थ्य . ....
जानें स्वस्थ रहने के उपाय , अपना आहार- विहार एवं दिनचर्या आयुर्वेद के अनुसार .....
विशुद्ध आयुर्वेदिक ओषधियों, पंचकर्म, अग्निकर्म, मर्म चिकित्सा, पंचगव्य चिकित्सा की ऊर्जा को कीजिये आत्मसात.....
हमारा उद्देश्य रोगी पाना नहीं समाज को "प्राकृतिक" रूप से स्वस्थ बनाना है ---
क्योंकि आयुर्वेद का भी प्रथम उद्देश्य है- स्वस्थस्य स्वास्थ्य रक्षणं आतुरस्य विकार प्रशमनं च . सर्व प्रथम स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना तत्पश्चात रोगी की चिकित्सा करना ...
इसलिए रखे स्वयं को स्वस्थ क्योंकि--
सर्वमन्यत् परित्यज्य शरीरमनुपालयेत |
तदभावे हि भावानां सर्वाभावः शरीरिणां ||
जानें स्वस्थ रहने के उपाय , अपना आहार- विहार एवं दिनचर्या आयुर्वेद के अनुसार .....
विशुद्ध आयुर्वेदिक ओषधियों, पंचकर्म, अग्निकर्म, मर्म चिकित्सा, पंचगव्य चिकित्सा की ऊर्जा को कीजिये आत्मसात.....
हमारा उद्देश्य रोगी पाना नहीं समाज को "प्राकृतिक" रूप से स्वस्थ बनाना है ---
क्योंकि आयुर्वेद का भी प्रथम उद्देश्य है- स्वस्थस्य स्वास्थ्य रक्षणं आतुरस्य विकार प्रशमनं च . सर्व प्रथम स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना तत्पश्चात रोगी की चिकित्सा करना ...
इसलिए रखे स्वयं को स्वस्थ क्योंकि--
सर्वमन्यत् परित्यज्य शरीरमनुपालयेत |
तदभावे हि भावानां सर्वाभावः शरीरिणां ||
Subscribe to:
Posts (Atom)